Menu
blogid : 288 postid : 607470

गोलघर : मरहम-पटटी नहीं पूरी सर्जरी की जरूरत

SAMWAD
SAMWAD
  • 21 Posts
  • 8 Comments

समय के मंथर लेकिन अनवरत प्रवाह में 227 साल कब बीत गए, पता नहीं चला। इस बीच गंगा धीरे-धीरे दूर होती गर्इ। पहले सी वीरानी भी नहीं रही। अब गोलघर के सामने वाली सड़क पर रात-दिन चहल-पहल देखते ही बनती है। इस गोदाम का निर्माण फिरंगी हुकूमत के दौरान तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के निर्देश पर 1770 के भीषण अकाल के दौरान पटना में अनाज भंडारण के लिए करवाया गया था। आज यह पटना की पहचान है। लेकिन, इसकी हालत उस मध्यमवर्गीय बूढ़े बाप जैसी हो गर्इ है, जिससे बेटे-बेटियों को केवल ‘उम्मीद’ होती है, उसकी देखरेख की फुर्सत उन्हें नहीं होती।


गोलघर का शिलान्यास 20 जनवरी 1784 को हुआ था। दो साल लगे थे इसके निर्माण में। इसकी 3.6 मीटर चौड़ी गोलाकार दीवार के साथ 145 घुमावदार सीढि़यां बनी हैं। आकार के आधार पर इसे गोलघर नाम दिया गया। आजादी के बाद 1999 तक इसका उपयोग अनाज भंडारण के लिए किया गया। 1979 में इसे प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल मानते हुए संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। धीरे-धीरे यह पटना का पिकनिक स्पाट व पर्यटन स्थल बन गया। गोलघर के महत्व को पाठयक्रम में भी शामिल कर लिया गया। अब ‘मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण योजना’ के अंतर्गत भी स्कूली बच्चों को इसे दिखाया जा रहा है। इस साल जनवरी से इसके परिसर में ‘लेजर लार्इट एंड साउंड शो’ भी दिखाया जा रहा है। लेकिन, शहर की पहचान बन चुकी इस इमारत को जिस संरक्षण की दरकार है, वह दिख नहीं रहा। इसके बीमार शरीर को पूरी सर्जरी की जरूरत है, लेकिन मरहम-पटटी कर छोड़ दिया जा रहा है।

इसकी दीवार में जगह-जगह दरारें आ गर्इ हैं। कर्इ जगह सीढि़यां इतनी टूटी हैं कि एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। सीढि़याें से लगी रेलिंग भी कर्इ जगह नदारद है। बाहरी आवरण पर जमाने पहले चढ़ाई गई सीमेंट की परत हट गर्इ है। ऊपर से उसपर पर पान और गुटखे की लाली बिखरी पड़ी है। जर्जर दीवार प्रेम के इजहार का नोटिस बोर्ड बनकर रह गर्इ है। इसकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है।

पर्यटकों के लिए कोर्इ गार्इड भी नहीं रहता है। गोलघर का महत्व बताने वाला बोर्ड भी नहीं दिखता। पर्यटकों, खासकर मुख्यमंत्री शैक्षणिक परिभ्रमण योजना के अंतर्गत भी स्कूली बच्चों को इस बात का मलाल रह जाता है कि उन्हें मेरी जानकारी देने वाला कोर्इ नहीं मिला।

गोलघर कैम्पस में दो घंटे तक भ्रमण के दौरान लगा कि इमारत को जिस सुरक्षा संरक्षण की जरूरत है, वह किया नहीं जा रहा। राज्य सरकार पर्यटन के विकास की बात करती है। लेकिन, सवाल यह है कि पर्यटन स्थलों पर पूरा ध्यान दिए बिना कैसे होगा पर्यटन का विकास?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh